दिल पर खुशियाँ लाए वो।
दिल पर दुःख लाए वो।
कभी हसाते है वो।
कभी रुलाते हे वो।
वो समझते हे कई सारे बाते,
जो शायद हम ना केह पाए
वो दिखाते हे हक़ीक़त को
वो समझाते हे हमे को
जादू हे उनमे
जो शायद नहीं है सब में
फैले धूम है हम भी,
फैले हुए है हम भी।
खोये रहते है वो भी,
खोये रहते है हम भी।
पर…
कभी न कभी ज़रूर आयेंगे वो…
हमारे दिल को फिर छू लेंगे वो…
हमारे पेहचान बनाते हे वो
आयेंगे वो ज़रूर ,
फिर से खुशियों की झोली भर कर।
समझ लो उन्हें, सम-मेट कर रख लो उन्हे
बड़े नसीब वालो को मिलते हे ये,
इसलिए रख लो इन्हे।
क्यों की साथी है वो तुम्हारे !
क्यों की दोस्त हे वो तुम्हारे !!
The poem is excellent. The girl has a flair for poetical writing. She has selected a subject and decorated it with simple yet illuminative words. Aliterations and rhyming have come out well as if it were biting titbits in Icream. Well written Gauri … expecting more such poems and stories from you.
Well written